क्या करे

भुल गए हैं तेरी बातों को अब उन यादों का क्या करे,

रास्ते अब बदल गए हैं अब इन मुलाकातों का क्या करे।

जनम जनम की सदियों में भी नहीं मिलना तेरा मेरा,
फिर कुछ बचा ही नही अब इन रोकर हालातों का क्या करे।

तुम्हारे बिना अब ये सफर अधुरा सा ही रह गया,
कांटो भरी राहों पर चलकर अब इन सौगातों का क्या करे।

जश्न का खूबसूरत रिश्ता एक अदाएं लिए हुए,
मुहब्बत ही नही रही तो अब इन बारातों का क्या करे।

उम्र के हर पड़ाव पर भी ये दीवानगी कम नही हुई,
बातों में भरोसा ही नही अब इन रिश्ते नातों का क्या करे।

दर्द देते रहेंगे ये जख्म बनकर हमेशा मेरे दिल में,
जब सनम ही नही मेरे साथ अब इन जज्बातों का क्या करे। 

सुकून तो मिला नहीं मुझे इश्क में एकपल का भी,
अगर खुश हुं भी तो इस सफर में अब इन राहतों का क्या करे।

मिलते थे हम तुम हर बार एक नए हसरतें लिए हुए,
अश्रु की बारिश बरसती रही अब इन बरसातों का क्या करे।

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5 Comments

बहुत ही सुंदर भाव और बेहतरीन शब्द संयोजन

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अदिति झा

27-Jun-2023 08:24 PM

Nice

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Abhinav ji

27-Jun-2023 08:17 AM

Very nice 👍

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